श्लोक - ३५३
असंशयमधीत्यात स्तत्त्वज्ञान मुपेयुषाम्।
भूलोकादपि दूरस्थमत्के स्याह्ब्रह्मण: पदम्॥
Tamil Transliteration
Aiyaththin Neengith Thelindhaarkku Vaiyaththin
Vaanam Naniya Thutaiththu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | तत्वज्ञानम् |