श्लोक - ३२५
अवधाख्यं वरं धर्मे य: सदा परिरक्षति।
संसारभीत्या सन्न्यास भाजिनोऽप्युत्तमो हि स:॥
Tamil Transliteration
Nilaianji Neeththaarul Ellaam Kolaianjik
Kollaamai Soozhvaan Thalai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | अवध: |