श्लोक - २८४
चौर्येण परवस्तूनां प्रा[त्या जातो मनोरथ:।
पश्चात्कर्मेपरीपाके दद्यात् दु:खं हि शाश्वतम्॥
Tamil Transliteration
Kalavinkan Kandriya Kaadhal Vilaivinkan
Veeyaa Vizhumam Tharum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | चौर्यनिषेध: |