श्लोक - २८३
चौर्यदुपार्जितं वित्तं प्रवृद्धमिव पश्यताम्।
भूत्वा न्यायार्जितैर्वित्तैस्सह पश्चाद्विनश्यति॥
Tamil Transliteration
Kalavinaal Aakiya Aakkam Alavirandhu
Aavadhu Polak Ketum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | चौर्यनिषेध: |