श्लोक - २८१
परैरनिन्दितो लोके यो वै जीवितुमिच्छति।
विना वस्त्वपहारेच्छां तेन रक्ष्यं सदा मन:॥
Tamil Transliteration
Ellaamai Ventuvaan Enpaan Enaiththondrum
Kallaamai Kaakkadhan Nenju.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | चौर्यनिषेध: |