श्लोक - २६७
असकृद्वह्निसन्तप्तं सुवर्णे सुष्ठु राजते।
तप: क्लेशितकायस्य ज्ञानं सम्यक् प्रकाशते॥
Tamil Transliteration
Sutachchutarum Ponpol Olivitum Thunpanjjch
Utachchuta Norkir Pavarkku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | तप: |