श्लोक - २५२
धनस्यारक्षणान्मार्त्यो निर्धनो जायते यथा।
तथा मांसशनपरो दयाहीन: प्रकीर्त्यते॥
Tamil Transliteration
Porulaatchi Potraadhaarkku Illai Arulaatchi
Aangillai Oondhin Pavarkku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | मांसवर्जनम् |