श्लोक - २३८
अनवाप्य यशो लोके ये हि जीवन्ति मानवा:।
निन्दितं जीवनं तेषामिति सद्भि: प्रकीर्त्यते॥
Tamil Transliteration
Vasaiyenpa Vaiyaththaark Kellaam Isaiyennum
Echcham Peraaa Vitin.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | कीर्ति: |