श्लोक - २३५
स्थिरकीर्त्या च मरणं यश्:कायेन जीवनम्।
महतां ज्ञानिनामेव लभ्यं स्यात् नापरस्य तु॥
Tamil Transliteration
Naththampol Ketum Uladhaakum Saakkaatum
Viththakark Kallaal Aridhu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | कीर्ति: |