श्लोक - २३३
बहुकालमभिव्याप्य तिष्ठन्तीं कीर्तिमन्तरा।
लोके निरुपमं नित्यमेकं वस्तु न विद्यते॥
Tamil Transliteration
Ondraa Ulakaththu Uyarndha Pukazhallaal
Pondraadhu Nirpadhon Ril.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | कीर्ति: |