श्लोक - २२६
धनी क्षुघं यदार्तस्य वारयेत्, भाविजन्मसु।
तदात्मफल लाभाय स्थिरं मुलधनं भवेत्॥
Tamil Transliteration
Atraar Azhipasi Theerththal Aqdhoruvan
Petraan Porulvaip Puzhi.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | दानम् |