श्लोक - २२७
भुक्तवन्तं सहान्येन् लब्धं वस्तु विभज्य तु।
क्षुण्णामाऽयं महारोगो दूरन्नित्यं विमुञ्चित॥
Tamil Transliteration
Paaththoon Mareei Yavanaip Pasiyennum
Theeppini Theental Aridhu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | दानम् |