श्लोक - १८९
'ममास्य भरणं धर्म' इति मत्वा वसुन्धरा ।
परोक्षनिन्दासक्तस्य देहभारं विभर्ति किम्? ॥
Tamil Transliteration
Arannokki Aatrungol Vaiyam Purannokkip
Punsol Uraippaan Porai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परोक्षनिन्दावर्जनम् |