श्लोक - १८६
यो निन्दति परोक्षेऽन्यं तत्कृतेषु बहुष्वपि ।
दोषेषु सारमन्विष्य तमन्यो दूषयेतुर: ॥
Tamil Transliteration
Piranpazhi Kooruvaan Thanpazhi Yullum
Thirandherindhu Koorap Patum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परोक्षनिन्दावर्जनम् |