श्लोक - १७३
न्यायमार्गागतं नित्यसुखं यै: प्रार्थते नर: ।
अल्पसौख्यात् न ते कुर्यु: लोभमन्येष्वधार्मिकम् ॥
Tamil Transliteration
Sitrinpam Veqki Aranalla Seyyaare
Matrinpam Ventu Pavar.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | अलोभ: |