श्लोक - १७१
अधर्मादन्यावस्तूनि यो ऽपहर्तुमभीच्छति ।
कुलनाशं स भजते दोषा अपि भजन्ति तम् ॥
Tamil Transliteration
Natuvindri Nanporul Veqkin Kutipondrik
Kutramum Aange Tharum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | अलोभ: |
अधर्मादन्यावस्तूनि यो ऽपहर्तुमभीच्छति ।
कुलनाशं स भजते दोषा अपि भजन्ति तम् ॥
Tamil Transliteration
Natuvindri Nanporul Veqkin Kutipondrik
Kutramum Aange Tharum.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | अलोभ: |