श्लोक - १५८
कुर्वतामात्मनो द्रोहं मनोऽहङ्कार करणात् ।
अकृत्वैव प्रतीकारं जेतव्या: क्षमयैव ते ॥
Tamil Transliteration
Mikudhiyaan Mikkavai Seydhaaraith Thaandham
Thakudhiyaan Vendru Vital.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | क्षमा |