श्लोक - १५७
परैरनर्थात् विहितात् लब्ध्वापि मनसो व्यथाम् ।
अधर्माचरणाञ्चित्त निरोधो हि प्रशस्यते ॥
Tamil Transliteration
Thiranalla Tharpirar Seyyinum Nonondhu
Aranalla Seyyaamai Nandru.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | क्षमा |