श्लोक - १५६
विरोधिष्वपकर्तृणां तिष्ठेदेकदिनं सुखम् ।
परद्रोहसहिष्णूनं यावज्जीवं भवद्यश: ॥
Tamil Transliteration
Oruththaarkku Orunaalai Inpam Poruththaarkkup
Pondrun Thunaiyum Pukazh.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | क्षमा |