श्लोक - १४
नष्टायां वर्षसंपत्तौ धान्योत्पादनतत्परा: ।
लाङ्गलेन भुवं नैव कर्षयेयु: कृषीवला: ॥
Tamil Transliteration
Erin Uzhaaar Uzhavar Puyalennum
Vaari Valangundrik Kaal.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 001 to 010 |
chapter | वृष्टिमहिमा |