श्लोक - १३
चतुर्भि: सागरै: देशे व्याप्तेपि क्षुदियं स्थिता ।
प्राणिनो बाधते मेघे यथाकालमवर्षति ॥
Tamil Transliteration
Vinindru Poippin Virineer Viyanulakaththu
Ulnindru Utatrum Pasi.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 001 to 010 |
chapter | वृष्टिमहिमा |