श्लोक - १३११
त्वद्वक्ष: सकलस्त्रीभि: स्वनेत्राभ्यां यथेच्छया ।
यतो दृष्ट्वाऽनुभूतं तत्, नाहं भोक्तुं वृणे प्रिये ! ॥
Tamil Transliteration
Penniyalaar Ellaarum Kannin Podhuunpar
Nannen Paraththanin Maarpu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | विप्रलम्भरहस्यम् |