श्लोक - १३१२
दीर्घायुष्मानिति वच: क्षुतादौ कथ्यते जनै: ।
श्रोतुमाशीर्वचो मत्त: प्रिय: क्षुतमथाऽकरोत् ॥
Tamil Transliteration
Ooti Irundhemaath Thumminaar Yaamdhammai
Neetuvaazh Kenpaak Karindhu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | विप्रलम्भरहस्यम् |