श्लोक - १३१०
वियोगेन कृशां नारीं यो निराकुरुते प्रिय: ।
तेनापि सङ्गं चित्तमाशया वाञ्छति ध्रुवम् ॥
Tamil Transliteration
Ootal Unanga Vituvaarotu Ennenjam
Kootuvem Enpadhu Avaa.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | विप्रलम्भ: |