श्लोक - १२८८
सुरापानाद् भवेद्धानिरिति ज्ञात्वापि मानव: ।
हर्षात् पिबेद्यथा तद्वत् तव वक्ष: पुनर्वृणे ॥
Tamil Transliteration
Iliththakka Innaa Seyinum Kaliththaarkkuk
Kallatre Kalvanin Maarpu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | संभोगत्वरा |