श्लोक - १२६५
पश्येयं तु यथेच्छं तं प्रिये प्रत्यागते सति ।
तदा क्षीणभुजाभ्यां तु वैवर्ण्यमपयास्यति ॥
Tamil Transliteration
Kaankaman Konkanaik Kannaarak Kantapin
Neengumen Mendhol Pasappu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | कामुकयोरन्योन्यव्यसनम् |