श्लोक - १२०२
विश्लेपेऽपि प्रिय: स्वीयप्रियां चित्तं यदि स्मरेत्।
तदेव वारयेत् खेदं, सर्वदा मोदद: स्मर: ॥
Tamil Transliteration
Enaiththonaru Inidhekaan Kaamamdhaam Veezhvaar
Ninaippa Varuvadhondru El.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | अनुभृतसुखं स्मृत्वा रोदनम् |