श्लोक - ११९५
अङ्गनाप्रीतिपात्रं य: कामुक: प्रेम तासु च ।
न कुर्यच्चेत् तदा स्त्रीणां किं तैरस्ति प्रयोजनम् ॥
Tamil Transliteration
Naamkaadhal Kontaar Namakkevan Seypavo
Thaamkaadhal Kollaak Katai.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | वियोगव्यसनाधिक्यम् |