श्लोक - ११९६
एकपक्षानुरागास्तु जनयेद्यसनं महत् ।
कामस्तुलाभारसमो द्विपक्षस्थ: सुखप्रद: ॥
Tamil Transliteration
Orudhalaiyaan Innaadhu Kaamamkaap Pola
Irudhalai Yaanum Inidhu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | वियोगव्यसनाधिक्यम् |