श्लोक - ११९४
स्ववाञ्छितप्रियतमो यस्यां प्रीतिं न दर्शयेत् ।
अन्येषां स्पृहणीयां च भाग्यहीनां हि तां विदु: ॥
Tamil Transliteration
Veezhap Patuvaar Kezheeiyilar Thaamveezhvaar
Veezhap Pataaar Enin.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | वियोगव्यसनाधिक्यम् |