श्लोक - ११५
सुखदु:खे हि संसारे कर्माधीने भविष्यत: ।
अतो मध्यस्थवृत्ति: स्यात् श्रेष्ठमाभरणं सताम् ॥
Tamil Transliteration
Ketum Perukkamum Illalla Nenjaththuk
Kotaamai Saandrork Kani.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | ताटस्थ्यम् |