श्लोक - ११५८
स्निग्धचेटीविरहतग्रामवासो व्यथाकर: ।
प्रियनायकविश्लेषस्ततोऽपि व्यसनप्रद: ॥
Tamil Transliteration
Innaadhu Inaniloor Vaazhdhal Adhaninum
Innaadhu Iniyaarp Pirivu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | वियोगसहनम् |