श्लोक - ११२
निष्पक्षपातिनो वित्तं न तु केवलमात्मन: ।
स्थिरं सत्पुत्रपौत्रादि सन्तते: स्यात् सुखावहम् ॥
Tamil Transliteration
Seppam Utaiyavan Aakkanj Chidhaivindri
Echchaththir Kemaappu Utaiththu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | ताटस्थ्यम् |