श्लोक - १११
शत्रुमित्रतृतीयेषु न्यायमार्गानुसारिण: ।
निष्पक्षपाततारूपो धर्मे योऽस्य फलं भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Thakudhi Enavondru Nandre Pakudhiyaal
Paarpattu Ozhukap Perin.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | ताटस्थ्यम् |