श्लोक - १०७९
अन्नवस्त्रादिसम्पन्नान् जनानुद्वीक्ष्य याचका: ।
असूयया मृषादोषान् सदा शंसन्ति तेष्वपि ॥
Tamil Transliteration
Utuppadhooum Unpadhooum Kaanin Pirarmel
Vatukkaana Vatraakum Keezh.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | नीचत्वम् |