श्लोक - १०८०
आत्मानमपि नीचास्तु विक्रेतुं व्यसनागमे ।
सज्जा भवेयु:, सत्कर्म नान्यत् तै: कर्तुमिष्यते ॥
Tamil Transliteration
Etrir Kuriyar Kayavarondru Utrakkaal
Vitrarku Uriyar Viraindhu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | नीचत्वम् |