श्लोक - ८६८
गुणविहीन रहते हुए, यदि हैं भी बहुदोष ।
तो है वह साथी रहित, रिपु को है संतोष ॥
Tamil Transliteration
Kunanilanaaik Kutram Palavaayin Maatraarkku
Inanilanaam Emaap Putaiththu.
Section | अर्थ- कांड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | शत्रुता- उत्कर्ष |