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श्लोक - ४५४

श्लोक 454
श्लोक #४५४
मनोजन्य सा दीखता, भले बुरे का ज्ञान ।
संग-जन्य रहता मगर, नर का ऐसा ज्ञान ॥

Tamil Transliteration
Manaththu Ladhupolak Kaatti Oruvarku
Inaththula Thaakum Arivu.

Sectionअर्थ- कांड
Chapter Groupअध्याय 039 to 050
chapterकुसंग- वर्जन
🡱
श्लोक ४५३श्लोक ४५५
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