श्लोक - ९७
परोपकारजनकं माधुर्यसाहितं वच: ।
वक्तारं सुखिनं कृत्वा पुण्यं चापि प्रयच्छति ॥
Tamil Transliteration
Nayan Eendru Nandri Payakkum Payaneendru
Panpin Thalaippiriyaach Chol.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | मधुरालाप: |