श्लोक - ९६३
सम्पत्समृद्धिवेलायां विनय: सर्वदा वर: ।
सम्पनाशे पौरुषं तु वरं स्याद्विनयादपि ॥
Tamil Transliteration
Perukkaththu Ventum Panidhal Siriya
Surukkaththu Ventum Uyarvu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | मानम् |