श्लोक - ९४६
मिताहारपरे सौख्यं शाश्वतं विद्यते यथा ।
नित्यरोगो भवेत्तस्मिन्नमिताहारसेवके ॥
Tamil Transliteration
Izhivarindhu Unpaankan Inpampol Nirkum
Kazhiper Iraiyaankan Noi.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | औषधम् |