श्लोक - ९३३
अक्षेण भ्रमणार्हेण लाभार्थं द्यूतकारिभि: ।
सञ्चितार्थस्तथा लाभो रिपूणां सविधं व्रजेत् ॥
Tamil Transliteration
Urulaayam Ovaadhu Koorin Porulaayam
Pooip Purame Patum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | द्यूत: |