श्लोक - ९०
शिरीषपुष्पमाघ्राणात् म्लानं संजायते यथा ।
तथाऽतिथीनां वदनं स्याद् गृहस्थे पराङ्मुखे ॥
Tamil Transliteration
Moppak Kuzhaiyum Anichcham Mukandhirindhu
Nokkak Kuzhaiyum Virundhu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | अतिथिसत्कार: |