श्लोक - ८९
दरिद्र एव मन्तव्यो वित्ते सत्यपि पुष्कले ।
भातिथ्यदानविमुखो यो भवेद् भुवने जड: ॥
Tamil Transliteration
Utaimaiyul Inmai Virundhompal Ompaa
Matamai Matavaarkan Untu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | अतिथिसत्कार: |