श्लोक - ८६१
आत्मनोऽपि बलाढ्यैस्तु वैरभावो विमुच्यताम् ।
न त्याज्यं सर्वदा वैरं स्वस्मादल्पबलान्वितै: ॥
Tamil Transliteration
Valiyaarkku Maaretral Ompuka Ompaa
Meliyaarmel Meka Pakai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | शत्रुनिर्णय: |