श्लोक - ८४६
स्वदोषवरणे यत्नहीन: स्वल्पमतिर्नर: ।
मुख्यं गोप्यं स्थलं त्यक्त्वा यथान्याच्छादको भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Atram Maraiththalo Pullarivu Thamvayin
Kutram Maraiyaa Vazhi.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | अल्पज्ञत्वम् |