श्लोक - ७९७
प्रमादाद् बुद्धिहीनेन साकं स्नेहस्य सम्भवे ।
ज्ञात्वा तस्य परित्यागात अन्यो लाभो न वर्तते ॥
Tamil Transliteration
Oodhiyam Enpadhu Oruvarkup Pedhaiyaar
Kenmai Oreei Vital.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | स्नेह्अपरीक्षा |