श्लोक - ७७९
स्वप्रतिज्ञाभङ्गभिया समरे मर्तुमिच्छत: ।
वीरस्य दण्डनं दातुं को वा शक्तो भवेद् भुवि ॥
Tamil Transliteration
Izhaiththadhu Ikavaamaich Chaavaarai Yaare
Pizhaiththadhu Orukkir Pavar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 081 to 090 |
chapter | सेनादार्ढ्यम् |