श्लोक - ७७४
स्थितं शूलं गजे मुक्त्वा समीपस्थे गजान्तरे ।
अन्वेष्टाऽन्यस्य शूलस्य वक्ष:स्थं प्राप्य तुष्यति ॥
Tamil Transliteration
Kaivel Kalitrotu Pokki Varupavan
Meyvel Pariyaa Nakum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 081 to 090 |
chapter | सेनादार्ढ्यम् |