श्लोक - ७४८
परैरावेष्टिते दुर्गे स्वस्थानैकपरायणै: ।
रिपुवारणकृद्वीरै: वृतो दुर्ग: स कथ्यते ॥
Tamil Transliteration
Mutraatri Mutri Yavaraiyum Patraatrip
Patriyaar Velvadhu Aran.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 061 to 070 |
chapter | दुर्ग: |